प्रेरक कहानियां - पार्ट 56
आलसी मत बनें
जीवन में सफलता हासिल करना चाहते है तो आलस्य को अपने पास आने न दें। आलसी की तुलना उस तालाब से की जा सकती है सीमा में बंध जाने की वजह से जिसके पानी में सरांध व काई जम जाती है। जबकि अनवरत चलने वाली नदी का पानी सदैव निर्मल रहता है। यदि आप दिनभर घर में पड़े रहते हैं तो आपके हाथ पैर जकड जाएँगे। आपको चलने फिरने में दिक्कत होगी। मनुष्य तो मनुष्य मशीन से यदि काम न लिया जाए तो उसके कलपुर्जे काम करना बंद कर देते हैं।
बहुत पुरानी बात है। किसी देश में एक बूढा व्यक्ति रहता था। वह काफी मेहनती था। खेतों में काम करके अपना गुजारा करता था। उसके तीन लड़के थे जो बड़े ही आलसी थे। उसकी आलस्य की वजह से बूढा और उसकी पत्नी काफी परेशान रहते थे। दोनों अपने लड़कों को समझने की कोशिश करते लेकिन तीनों अपने आलसीपन से बाज नहीं आए। एक दिन बूढा किसान चल बसा। बुढिया ने अपने बेटों को खेत पर जाने के लिए कहा, लेकिन वे गए नहीं। जब तक अनाज था बुढिया ने उनको बना –बना कर खिलाया आखिर में एक दिन घर का सारा अनाज ख़त्म हो गया। जब घर में एक भी दाना नहीं बचा तो बुढिया ने अपनों बेटों से काम धंधे के लिए कहा लेकिन वे तब भी नहीं गए।
एक दिन सुबह बुढिया उठ कर रोने लगी। माँ को रोते देखकर उसके बेटों ने पूछा तो माँ ने बताया, “सपने में तुम्हारे पिता आए थे। उन्होंने बताया की यदि तुम लोग खेत में से गढ़ा हुआ धन निकल कर ले आओ तो हमारी गरीबी दूर हो सकती है।”
“तो इसमें रोने की बात क्या है” लड़कों ने पूछा।
बुढिया बोलो, “मै तो यह सोच कर रो रही हूँ कि अब खेत खोद कर कौन धन निकल कर लायेगा? किसी दूसरे से कह भी नहीं सकती हूँ, इसीलिए रो रही हूँ।”
बुढिया की बात सुनकर तीनों बेटे खेत में जाकर जमीन खोदने लगे। तीनो बेटे एक ही जगह खुदाई कर रहे थे यह देखकर बुढिया ने कहा, “ धन खेत में कहीं भी हो सकता है इसलिए पूरे खेत की अच्छे से खुदाई करो। “पूरा खेत खुद जाने के बाद जब धन नहीं मिला तो तीनों बेटे नाराज हो गए। बुढिया ने कहा,” ठीक है सपने में तुम्हारे पिता आने पर मै उनसे इसकी शिकायत करूगी। जब खेत की खुदाई हो गई है तो क्यों न इसमें अनाज बो दिया जाए।”
बेटों ने अनाज बो दिया। कुछ ही दिनों में खेत में फसल लहराने लगी। फसल काटने का वक्त आया तो एक दिन बुढिया फिर रोने लगी। बेटों ने पूछा, ”अब क्या हुआ ?
“तेरे पिता सपने में आये थे कहने लगे फसल को काट कर बाज़ार में बेच कर आओ, तब उन्हें धन के बारे में बताएँगे।”
बेटों ने धन के लालच में फसल काटकर बाज़ार में बेचने गए। फसल बेचने पर जब उन्हें धन मिला तो तीनों बेटे बहुत खुश हुए। उस दिन से तीनों ने आलस्य त्याग कर खेत में कम करने लगे।
यदि आप अमीर बनना चाहते हैं या अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो आलस्य से बचें। आलस्य गरीबी है, आलस्य असफलता है, आलस्य नाकामयाबी है, आलस्य अमीरी का दुश्मन है। आलस्य को दूर भगाएं और सफल व्यक्ति बन जाएँ।
सफल बनना है तो आलस्य को त्यागना होगा। आलस्य से जीवन के रचनात्मक पल नष्ट हो जाते हैं।